Aalhadini

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Murder or trap 16


सुबह की चाय से लेकर नाश्ता, खाना और रात को सोते वक्त अवंतिका जी के पैर दबाना, दादाजी के लिए हल्दी वाला दूध, अंजू जी की ब्लैक कॉफी और अखिल जी की हेल्थ ड्रिंक..! हर एक चीज की जिम्मेदारी अनीता ने अपने कंधे पर ले ली थी।

 इतना सब कुछ करने के बाद भी सभी घरवालों के ताने अनीता को सुनने मिलते थे। 
"यह ठीक नहीं किया वह ठीक नहीं किया.. यह गड़बड़ कर दी.. तुम छोटे घर की लड़कियां बस अमीर घर के लड़कों को फंसाना जानती हैं। यह बातें सुनकर अनीता को बहुत दुख होता था.. लेकिन इसे अपने घर वालों का कुछ देर का गुस्सा जानकर सह लेती थी।

 इन सब में उसका सबसे बड़ा सपोर्ट दीप था। दीप अपने ऑफिस के काम को अधिकतर घर पर लेकर आ जाया करता था। अनीता पूरे दिन पूरे घर वालों की फरमाइशें, उनके नखरे एक टांग पर चकरी की तरह घूमती हुई पूरे करती थी और रात को दीप का ऑफिस का काम और दीप की मनमानियां भी झेलती थी।
 
अनीता धीरे धीरे दीप को पसंद करने लगी थी। दीप का अच्छा व्यवहार और उसके लिए प्यार अनीता को भी दीप से प्यार करने के लिए मजबूर करने लगा था।

 दीप अपने ऑफिस की प्रॉब्लम भी अनीता के साथ शेयर करने लगा था। अनीता जो हमेशा से ही एक ब्रिलियंट स्टूडेंट थी.. उसने हर एक कदम पर दीप का साथ दिया और दीप को इतने अच्छे बिजनेस आइडिया दिए की दीप का बिजनेस 2 साल में ही 5 गुना ज्यादा बढ़ गया था। 

 धीरे धीरे दीप का घर आने का समय अनिश्चित होता जा रहा था।  जहां शुरू शुरू में दीप 8:00 बजे तक वापस घर आ जाता था.. अब अनीता रात को दो 2:00 बजे तक उसका इंतजार करने लगी थी। अनीता हमेशा खाने पर भी दीप का इंतजार करती थी। कभी दीप के बिना खाना नहीं खाती थी।
 
दीप अब हमेशा बाहर से खाना खाकर और यहां तक की शराब पीकर भी आने लगा था। ससुराल वाले पहले से ही अनीता के खिलाफ थे इसीलिए इस बारे में अनीता किसी से कुछ कह भी नहीं सकती थी। अनीता के पापा एक तो वैसे ही बहुत मामूली सी नौकरी करते थे और आजकल काफी बीमार भी रहने लगे थे... 

उसके पापा की बीमारी ने अनीता को कभी अपने जीवन की परेशानियां अपने पापा को बता कर उन्हें परेशान करने नहीं दिया।

घर में सिर्फ एक शंभू काका ही थे जिनसे अनीता थोड़ी बहुत बात कर लिया करती थी। बाकी नौकर तो घरवालों की देखा देखी अनीता की कोई भी इज्जत नहीं करते थे।

 इस पर शंभू काका की हमेशा उन लोगों से बहस हो जाया करती थी। शंभू काका ने कई बार उन लोगों को समझाने की कोशिश भी की कि 
"अनीता इस घर की बहू है.. भले ही परिवार की आपस में नहीं बनती या किसी कारण से वह लोग अनीता को अपनी बहू नहीं मानते। लेकिन है तो  अनीता दीप की पत्नी और उस परिवार की बहू..!!"

 मगर नौकरों को मालिकों की शह थी इसीलिए उन्होंने कभी भी अनीता को उसका उचित सम्मान नहीं दिया। अनीता भी हमेशा से ही किसी बात की परवाह नहीं करती थी.. इन छोटी मोटी बातों पर उसने कभी ध्यान नहीं दिया।

 धीरे धीरे माहौल बिगड़ने लगा था.. सभी घरवाले चाहे वह अवंतिका जी हो, चाहे अधिराज जी या फिर घर की सबसे छोटी रिद्धि.. किसी ना किसी बात पर अनीता को इंसल्ट करने का मौका ही ढूंढते रहते थे। उन्होंने कभी भी नौकरों के सामने भी अनीता की रिस्पेक्ट नहीं की।

 दीप जो अब तक अनीता पर अपने प्यार की बरसात किया करता था.. धीरे-धीरे उसका मन अनीता से भरने लगा था। जो लेट नाइट पार्टियां अब तक घर के बाहर होती थी.. धीरे धीरे वह घर में ही होने लगी थी।

 सारे नौकर जब चले जाते थे उसी के बाद तो पार्टियां शुरू होती थी.. ताकि सभी के सामने उन लोगों की आदर्श छवि बनी रहे।  अनीता को हर एक पार्टी में गेस्ट्स को एंटरटेन करने से लेकर उनको ड्रिंक तक सर्व करने पड़ते थे। दीप से कहने पर शुरु शुरु में तो दीप बिजनेस कलीग्स और अपने खास ही दोस्त हैं.. बोल कर बात टाल दिया करता था।

 "यार अनीता.. तुम कितनी नैरो माइंडेड होती जा रही हो.. सभी मेरे बिजनेस एसोसिएट्स और फ्रेंड्स ही तो है। तो फिर उन्हें ड्रिंक्स सर्व करने में क्या प्रॉब्लम है..? अगर हमारे घर कोई मेहमान आए तो तुम होने एंटरटेन भी नहीं करोगी क्या?? ऐसा थोड़ी होता है?"

 "लेकिन दीप..! हम किसी नौकर को भी तो रोक सकते हैं..!!"

 "नहीं अनीता.. आजकल कोई भी नौकर विश्वास करने लायक नहीं है। कल को हमारे बिजनेस के बारे में राइवल्स को बता दिया तो.. हमें बहुत ज्यादा नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। तुम समझो ना.. वैसे भी कौन सी यह पार्टियां रोज रोज होती है..?? कभी कभार तो मैनेज किया जा सकता है..!!"

 यह कहकर शुरू हुई पार्टीज धीरे धीरे हर रोज की बात होने लगी थी। उन पार्टियों में भी हमेशा अनीता का मजाक ही बनाया जाता था। उसके रूप रंग का, उसके सरलता का और उसकी सादगी का।  दीप भी हर बात उन्ही लोगों का साथ देता था।

 धीरे धीरे बातें और माहौल बिगड़ता ही जा रहा था।  जहां पहले पार्टियों में बिजनेस की बातें होती थी.. अब वहां अश्लील हंसी मजाक होने लगे थे.. और बातें काम से ज्यादा और किसी दिशा में मुड़ने लगी थी। 

 आने वाली लड़कियां हमेशा दीप को सिड्यूस करती थी और दीप भी इन सब में उनका पूरा साथ देता था। 
 
अनीता यह सब सुनकर बस गुस्सा करती रहती थी। घर वाले भी उन पार्टीज को इंजॉय करते थे और दीप को उसकी हरकतों में बढ़ावा देते थे।

 1 दिन दोपहर में जब दीप ऑफिस के लिए निकल रहा था तो अनीता ने कहा, "दीप.. ! इस तरह की रोज-रोज की पार्टियां घर में अच्छी नहीं लगती और उसमें जिस तरह की लड़कियां आती हैं.. उस तरह की लड़कियां घर में लाने लायक नहीं होती। तुम प्लीज इस तरह की पार्टीज बंद कर दो!!"

 अनीता के इतना कहते ही दीप ने गुस्से में भरकर उसे एक जोरदार थप्पड़ मार दिया और कहा, "तुम मिडल क्लास लोग.. तुम्हें किसी भी चीज की समझ नहीं है। तुम्हें नहीं पता कि बड़े लोगों में उठा बैठा कैसे जाता है। एक तो मैंने तुम्हें फर्श से उठाकर अपने इतने बड़े घर की बहू बनाया और तुम..! तुम्हें कुछ भी समझ में नहीं आता कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं..??"

 अनीता दीप के इस तरह से हाथ उठाने पर बिल्कुल स्तब्ध रह गई थी। तभी अवंतिका जी ने कमरे में आते हुए कहा, "सही कह रहे हो बेटा..! इनके जैसे छोटे घर की लड़कियां इन्हें हमारे जैसे बड़े घरों के तौर तरीके पता तो है नहीं। बस यहां आकर सभी को अपने जैसा ही बनाना चाहती है।"

 इतना होने के बाद दीप गुस्से से बाहर निकल गया।  उस दिन के बाद हाथ उठाने की दीप की रोज की आदत बन गई थी। साथ ही उस दिन के बाद  हर शाम को जब भी दीप घर लौटता... उसके साथ रोज एक नई लड़की होती थी। जिसके साथ वह अपने बेडरूम में घंटों पता नहीं क्या करता था। दोनों सुबह हंसते मुस्कुराते, एक दूसरे की  बाँहों में बाहें डाले बाहर निकलते थे। 

अनीता को इस बीच में कमरे के आसपास फटकने तक की इजाजत नहीं थी। दीप ने साफ शब्दों में कहा हुआ था कि "जब भी मेरे साथ कोई भी आए.. तो तुम हमें डिस्टर्ब नहीं करोगी वरना तुम सोच भी नहीं सकती कि मैं क्या कर सकता हूं..??"

 अब अनीता के पास इन सब को सहने के अलावा कोई और चारा नहीं बचा था।  अनीता ने इसे ही अपनी नियति मान लिया था। जो अनीता अब तक हंसती मुस्कुराती थी.. धीरे-धीरे गुमसुम और शांत रहने लगी थी।

 दीप के साथ लड़कियों का आना रोज जारी था कभी-कभी दीप अनीता से भी उन्हीं के साथ उस कमरे में रहने की जिद करता था। यह सब बातें अनीता को पसंद नहीं थी ना करने पर उस लड़की के सामने उसी के बेडरूम में दीप अनीता की इतनी बेरहमी से पिटाई कर देता था.. जिसके बाद हफ्तों तक उसके शरीर से चोटों के निशान नहीं जाते थे।

 रोज पार्टियों और शराब का दौर भी घर में चल ही रहा था। अनीता ने अब दीप को कुछ भी समझाना बंद कर दिया था। उसे पता था कि उसके कुछ भी समझाने से दीप को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। 

 अनीता के पास वापस जाने का भी कोई रास्ता नहीं था इसीलिए हर रोज दीप की ज्यादतियों को चुपचाप सहन किए जा रही थी।  लेकिन दीप की हरकतें दिन पर दिन और भी ज्यादा बिगड़ती जा रही थी।  


एक दिन तो हद ही हो गई थी.. दीप के घर पर देर रात पार्टी चल रही थी। शराब और लड़कियां परोसी जा रही थी। अनीता को भी बहुत सा काम था.. सभी के लिए स्टाटर्स और खाना बनाने की जिम्मेदारी अनीता की ही थी। इस तरह की पार्टियों में खाना अनीता ही बनाती थी.. ताकि घर के बाहर किसी को भी इस तरह की पार्टियों के दीप के घर पर ऑरग्नाइज होने के बारे में पता नहीं चले।

अनीता ने खाने में बहुत सी वैराइटीज् बनाई थी क्योंकि उस दिन दीप के कोई स्पेशल गेस्ट आने वाले थे जो दीप के बिजनेस में बहुत बड़ी रकम इन्वेस्ट करने वाले थे। दीप के बहुत ही सख्त इंस्ट्रक्शन्स थे कि खाना टेस्टी और खाने में बहुत सी वैरायटीज् होनी चाहिए।

गेस्ट शाम 8 बजे तक पहुंच गए थे। दीप की फॅमिली किसी दूसरे शहर घूमने के लिए गई थी। पीने पिलाने का दौर चल रहा था साथ ही कुछ लड़कियां भी आई थी जो छोटे और तन दिखाऊ कपड़े पहनकर इधर से उधर मंडरा रही थी और वहाँ मौजूद सभी आदमियों के साथ फ्लर्ट कर रही थी। 

अनीता ये सब किचन से देख रही थी। उसे इस तरह की लड़कियों पर बहुत गुस्सा आता था क्यों ये लड़कियां कुछ पैसों के लिए इस तरह के काम करती थी।

रात के 11:30 बजे दीप ने खाना लगाने के लिए कहा। लगभग आधे घंटे में टेबल अरेंज कर दी गई और सभी गेस्ट खाना खाने लगे। दीप और उसका स्पेशल गेस्ट दोनों अभी तक शराब पी रहे थे।  

अनीता इतने सारे लोगों का खाना बनाकर थक चुकी थी लेकिन वह दोनों अभी तक भी खाना खाने के मूड में दिखाई नहीं दे रहे थे। सभी मेहमान जब खाना खाकर चले गए तब दीप ने अपने और अपने स्पेशल गेस्ट के लिए खाना लगाने के लिए कहा। अनीता ने उन दोनों के लिए  प्लेट्स लगा दी थी। 

दोनों ही  लोग खाना खाने के लिए बैठे तो दीप के स्पेशल गेस्ट ने अनीता के बने खाने की बहुत तारीफ की। उसने पूछा, "दीप..! खाना बहुत ही ज्यादा टेस्टी है.. आपके शैफ को हमारे घर भेज दो.. मेरी बीवी ना तो खुद ढ़ंग का खाना बनाती है और ना ही किसी को बनाने देती है। बस पूरे समय उबला और बेस्वाद खाना ही खाने मिलता है। मैं आपके उस शैफ से मिलना चाहता हूं।

 दीप ने अनीता को आवाज दी, "अनीता..!! इधर आओ यह तुमसे मिलना चाहते हैं।"
 
अनीता वहां आ कर खड़ी हो गई। उस स्पेशल गेस्ट ने अनीता को ऊपर से नीचे तक देखा और उसके हाथ पकड़ कर चूमने लगा।

 "कसम से.. इतना टेस्टी खाना बनाती हो।  मैंने अपनी जिंदगी में इतना ज्यादा टेस्टी खाना कभी नहीं खाया।  जब तुम खाना इतना टेस्टी बनाती हो तो तुम भी उतनी ही टेस्टी होगी।" उस स्पेशल गेस्ट ने अश्लीलता और बदतमीजी से कहा।

 इतना सुनते ही अनीता को बहुत तेज गुस्सा आया और उसने गुस्से से दीप की तरफ देखा.. जो अपने स्पेशल गेस्ट की बात सुनकर मंद मंद मुस्कुरा रहा था।

 अनीता ने दीप की तरफ घूर कर देखते हुए कहा, "आपको शर्म नहीं आ रही.. आपके सामने आपकी बीवी को कोई दूसरा आदमी इस तरह की बेहूदी बात कह रहा है और आप मुस्कुरा रहे हो..!"

 "तो क्या हो गया..? यह सब तुम्हारे मिडिल क्लास में नहीं चलता होगा.. हमारे यहां ये सब बातें कॉमन है।" 

दीप ने अनीता की तरफ देख कर कहा और फिर अपने स्पेशल गेस्ट की तरफ मुड़ गया। 

 "बिल्कुल सर.. अगर आप चाहते हैं तो आप इसे टेस्ट भी कर सकते हैं। मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है..!!"

 दीप के इतना कहते ही अनीता ने गुस्से से दीप के गाल पर एक थप्पड़ लगा दिया। उस थप्पड़ के पड़ते ही दीप गुस्से से भर गया और उसके बाल खींचते हुए अपने बेडरूम में ले गया। बेडरूम में ले जाते समय उसने पीछे मुड़कर अपने स्पेशल गेस्ट को साथ ही आने का इशारा किया। 

 उस स्पेशल गेस्ट ने टेबल पर रखे नैपकिन से अपने हाथ पौंछे और दीप के पीछे चल दिया। 
 
दीप ने अनीता को ले जाकर अपने बेड पर पटक दिया और कहा,  "ज्यादा फालतू नाटक करने की जरूरत नहीं है। जैसा सर कहते हैं तुम्हें वैसा करना ही होगा।"
दीप के ऐसे धकेलने से अनीता का सर बेड के कोने से टकरा गया था जिससे उसके सर से खून बहने लगा था।  अनीता दर्द के कारण अपना सर पकड़ कर बैठ गई। 

 तब तक पीछे पीछे दीप का वह स्पेशल गेस्ट बेडरूम में पहुंच गया था। 

 "शी इज़ ऑल योर्स..!!" और ऐसा कहकर दीप आंख मारते हुए बेडरूम का डोर बंद करके बाहर निकल गया।

 पूरी रात बेडरूम से अनीता के दर्द से चीखने चिल्लाने की आवाजें आती रहीं।  सुबह वो गेस्ट दीप की कंपनी में अपने इन्वेस्टमेंट को फाइनल कर के चला गया।

सुबह जब दीप अपने बेडरूम में गया तो अनीता की बहुत ही ज्यादा दुर्दशा हो रखी थी। दीप ने बहुत ही बेशर्मी से अनीता के चेहरे पर उंगली घुमाते हुए कहा, 

"इतनी ज्यादा नौटंकी करने की जरूरत ही क्या थी.. मेरी जान..!! देखा नौटंकी करने का नतीज़ा.. अगर ना की होती तो इस वक़्त इतनी ज्यादा दुर्दशा नहीं हुई होती।" 

अनीता इस दर्द को बेआवाज़ रोते हुए अपने दिल से निकालना चाहती थी.. किसी भी औरत को अपने मान सम्मान की रक्षा के लिए हमेशा अपने पति के पास ही जाते देखा जाता है लेकिन जब पति ही अपनी पत्नी की अस्मिता को तार तार करने में लगा हो तो वह किसके पास जाए।

उस दिन से दीप को एक और रास्ता मिल गया था.. अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने का। अब वो लगभग हर रोज ही अनीता को किसी ना किसी को परोसने लगा था। अनीता के बहुत ज्यादा विरोध करने पर उसे एक नहीं दो दो आदमियों को एक साथ परोस दिया जाता था.. जिससे अनीता की इतनी ज्यादा दुर्दशा हो जाती थी कि हफ्तों वो ठीक से चल नहीं पाती थी। वे लोग अनीता पर अपना गुस्सा मार पीटकर भी निकालते थे और बदले में मिलती थी दीप को आगे बढ़ने की सीढ़ी।

इस सब के चलते अनीता गुस्सैल, झगड़ालु और बदतमीज होती जा रही थी। यही उसका स्वभाव बनता जा रहा था। ऐसा नहीं था कि अनीता ने भागने की कोशिश नहीं की थी.. 

एक बार की थी.. और उसमे अनीता कामयाब भी हो गई थी। लेकिन बदकिस्मती से उस दिन घर से भागते ही वो दीप के उसी स्पेशल गेस्ट की गाड़ी से टकरा गई थी.. जिसकी वजह से ये सबकुछ शुरू हुआ था। गाड़ी से टकराने की वजह से अनीता बेहोश हो गई थी और वो आदमी अनीता को उठाकर अपने फार्महाउस ले गया था जहाँ उस दिन एक पार्टी हो रही थी।

जब अनीता को होश आया तब वो बहुत ही कम कपड़ों में बहुत से आदमियों से घिरी हुई थी.. जिनमें दीप भी था। सभी अनीता को भूखे कुत्तों की तरह घूर रहे थे.. जो कभी भी उसपर टूट पड़ने को तैयार थे। 
और उस दिन सभी ने मिलकर अनीता को ऐसा बुरी तरह से नोंचा खसोंटा के महीनों अनीता को बिस्तर पर पड़े रहना पड़ा था। 

और उस दिन वापस दीप उसे अपने घर ले आया था। दीप ने अनीता के ज़ख्मों पर नमक छिड़कने हुए कहा था।

"अगर ज्यादा होशियारी दिखाने की कोशिश ना की होती तो आज तुम्हारी ये हालत ना होती।"

उसके बाद अनीता ने इसे ही अपनी नियति मानते हुए चुपचाप जब तक जिंदगी काटे जा रही थी। अब अपने आपको अनीता ने भाग्य के भरोसे छोड़ दिया था।"
इतना बोलते ही वृंदा चुप हो गई थी।

ये सब सुनकर रुद्र की आंखे भरी हुई थी..  अनीता की दुर्दशा के बारे में जानकर रुद्र के अंदर बहुत गुस्सा भरा नज़र आ रहा था।  

"बहुत ही अच्छा किया तुमने अनीता को इस नर्क से छुटकारा दिला दिया.. पर तुमने ये सब किया कैसे..??"


क्रमशः...

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16 Comments

Punam verma

01-Aug-2022 09:13 AM

Very nice part mam

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Khan

28-Jul-2022 11:47 PM

Nice

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Saba Rahman

28-Jul-2022 09:13 PM

Nice

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